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तूफान की तबाही मानसून स्पेशल प्रतियोगिता हेतु रचना भाग 03 लेखनी कहानी -10-Jul-2022

सविता का कुछ भी खाने का मन नहीं था।  रुदाली को अपने पासत्रही सुलाया था। चारौ तरफ सिर्फ बाढ़ के पानी की ही बातै होरही थी। सबकी जवान पर एक ही बात थी कि हमारे जीवन की सारी पूजी इस बाढ़ के पानी में बह गयी ।


     सभी को अपनी पूजी व मकान की चिन्ता हो रही थी जबकि इसके विपरीत सविता को अपने पति की चिन्ता होरही थी। वह ब। यही सोचरही थी कि वह कहाँ होगे और किस हालात में हौगे।

     आनन्द रस्तोगी जिस कम्पनी में काम करते थे वह आफिस शहर के सबसे निचले भाग में था वहाँ पर सबसे अधिक तबाही हुई थी   उनके आफिस के पास कोई सहायता भी नही पहुँच सकी थी। वहाँ काम करने वाले सभी कर्मचारी वहाँ खडी़ गाडि।यौ से ऐसी जगह पहुँचना चांहते थे  जो शहर का सबसे ऊँची जगह हो।

      उसी ग्रुप मे आनन्द रस्तोगी भी शामिल थे। उनके स्टाफ के मोवाइल भी इन्कम टैक्स वालो के पास जमा थे जल्दी मे वह मोबाइल आफिस में ही रह गये थे जो पानी में डूब चुके थे।

       सभी कर्मचारियौ को अपने अपने परिवार की चिन्ता सता रही थी उनके पास मोबाइल भी नहीं था जिससे अपने अपने  परिवार का हाल चाल जान लेते।

        वह सभी लोग गाडि़यौ से शहर से बाहर बहुत दूर निकल गये थे परन्तु बरसात अभी भी रुकने का नाम नही लेरही थी।

      शहर के हालात बहुत खराब होते जारहे थे।  जिस कैम्प में सविता अपनी बेटी के साथ रुकी हुई थी उस कैम्प का भी बुरा हाल था वहाँ पर भी पानी आचुका था।

      अब उस कैम्प में आश्रय लेने वालौ को दूसरी जगह लेजाया जारहा था। आब उन सभी को वहाँ से दूर लेजाया गया। जबतक पानी कम नही होजाता तब तक कैम्पौ में ही रहना होगा।

         चार दिन बाद कुछ पानी कम हौने लगा। अब सविता  अपने घर वापिस जाने की प्रतीक्षा में थी। जैसे जैसे पानी का बेग  कम होरहा था बैसे ही  सभी को अपने घर वापिसी की आशा की किरण दिखाई देरही थी।

       सविता भी अपनी बेटी रुदाली के साथ अपने घर वापिस जाने लगी। जब वह दोनौ अपने घर वापिस पहुँच तो गये। परन्तु वहा तो बैठने की भी जगह नही थी। वह वहाँ रहकर अपने पति के आने की प्रतीक्षा करना चाहती थी। सविता के पडौ़सी अभी भी कैम्पौ में ही रह रहे थे क्यौकि वहाँ अभी भी पानी भरा हुआ था।  परन्तु सविता इस लिए आगयी थी कि रुदाली के पापा कभी भी वापिस आ सकते थे।

      सविता ने  धीरे धीरे घर को साफ करना शुरू कर दिया।  रुदाली भी अपनी मम्मी का साथ देरही थी लेकिन रुदाली को भी अपने पापा की बहुत चिन्ता सता रही थी।

      उधर अब आनन्द रस्तोगी भी घर वापिस आनेका रास्ता देख रहे थे उनको  भी अपने परिवार की बहुत चिन्ता थी उनको अपने परिवार  से बात किए हुए आज पाच दिन से आधिक  होगये थे। वहाँ किसी के पास फौन भी नही था जिससे वह अपने परिवार से बात कर लेता।

      अब सभी कर्मचारी बहुत खुश दिखाई दे रहे थे क्यौकि अब बाढ़ का पानी बहुत कम होरहा था। सभी को अपने अपने परिवार से मिलने की खुशी होरही थी। लेकिन सभी को यह चिन्ता सता रही थी कि उनका परिवार कहाँ गया होगा और किस हालात में होगा।

         आज आनन्द अब अपने घर पहुँचकर अपनी पत्नी व बेटी से मिलने की खुशी होरही थी लेकिन दुर्भाग्य  उसका पीछा कर रहा था। और जिस कार से  घर वापिस आरहे थे वह कार दुर्घटनाग्रस्त होगयी।

        कार में बैठे  सभी लोगौ को बहुत ही अधिक चोटै आई  कुछ लोगौ ने उनको शहर के अस्पताल में  भर्ती तो करवा दिया लेकिन उस अस्पताल में बाढ़ के कारण सारा सिस्टम खराब होगया था।

      अब उनको दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में भेज दिया गया । घायल कर्मचारियौ के परिवार वालौ को तो यह भी नही मालूम  था कि उनके साथ क्या हुआ है। वह अपनी परेशानी से जूझ रहे थे।

    उनमें से कुछ कर्मचारियौ की मौत होगयी और बचे हुए की याददास्त चली गयी। आनन्द की भी याददास्त जाचुकी थी  अब अस्पताल वालौ को यह भी नही मालूम था  कि यह कौन है। वह तो उनका  केवल इलाज कर रहे थे।।

 नोट:-  आगे की  कहानी अगले भाग  4 मे पढि़ये।

नरेश शर्मा " पचौरी "

2./07/2022

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13 Comments

Mohammed urooj khan

30-Jul-2022 02:15 PM

Nice

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Khan

25-Jul-2022 10:10 PM

Nice

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Rahman

24-Jul-2022 11:04 PM

👍👍👍

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